Shilpi Goel
Shilpi Goel 19 Mar, 2022
माता-पिता
बेफिक्र सी थी मेरी हर शाम, जब चलती उनका हाथ थाम। ना ही गिरने की फिक्र मुझको, ना संभलने का था शौक चढ़ा। वो परछाइयां मौजूद हर जगह, करती तैयार करने को फतह। उम्र के हर पढ़ाव पर उन्होंने निभाई जिम्मेदारी, परछाई बनने की उनकी आई है अब मेरी बारी।

Paperwiff

by shilpi goel

19 Mar, 2022

वो परछाइयां

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