Shilpi Goel
Shilpi Goel 13 Nov, 2022
जिंदगी
परछाई सी बनकर साथ चलती है, कभी गिरती है कभी संभलती है। कभी बिखर जाती है टूटकर, तो कभी समेट कर खुद को फिर से दौड़ लगाती है। शहद सी मीठी लगती कभी, कभी नीम सा स्वाद दे जाती है। महसूस होती है इसकी चुभन भीतर तलक, कभी गुलाब बन काँटों में भी खिल जाती है। स्वप्न से भरे इसके नैना.. जब-जब सच्चाई के धरातल से टकराते हैं, करने को पूर्ण स्वप्न अपने.. नयी उमंग नये जोश संग फिर से भर जाती है। ये जिंदगी है जनाब, हर पल नये रंग दिखलाती है।

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by shilpi goel

13 Nov, 2022

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