Shilpi Goel
18 Oct, 2023
माता
पुष्प सी नाज़ुक जिसकी रूह,
भरा वात्सल्य से जिसका हिय...
जगत जननी मेरी माता प्रिय!
ज़रा सी ठोकर लगने पर जो दौड़ी-दौड़ी आती है,
मुश्किल में देख मुझे वो काली रूप अपनाती है!
कैसे कह दूँ सिर पर हाथ नहीं उसका मेरे,
परछाई बन मेरा वो हर पल साथ निभाती है...
दुर्गा-शाम्भवी जाने कितने ही नामों से पूजी जाती है,
शेर सवारी है जिसकी,
वो मेरी माता कहलाती है...
वो मेरी माता कहलाती है!
Paperwiff
by shilpi goel
18 Oct, 2023
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