जानती हूं सारा सच तेरा फिर भी साथ निभाती हूं,
वो क्या हैं ना लड़की हूं इसलिए जल्दी बहक जाती हूं,
छोड़ के ख़्वाब अपने तेरे सपने सजाती हूं,
वो क्या है ना लड़की हूं इसलिए जल्दी बहक जाती हूं,
चाहे गलती तेरी ही क्यू ना हो फिर भी सजा चुप चाप मैं सह जाती हूं,
वो क्या है ना लड़की हूं इसलिए जल्दी बहक जाती हूं,
तू वो सब करता हैं जो मैं कभी कर ना पाती हूं, संस्कारों में रह कर भी चरित्रहीन कहलाती हूं,
वो क्या है ना लड़की हूं इसलिए जल्दी बहक जाती हूं,
क्या सही है क्या नहीं है सब जानते हुए भी आवाज़ नहीं उठाती हूं, न जाने क्यू तेरे हां में हां मिलती हूं,
वो क्या है ना लड़की हूं इसलिए जल्दी बहक जाती हूं,
मायका हो या ससुराल कहीं की भी ना सगी कहलाती हूं,
फिर भी अपना सब कुछ त्याग के पूरे निष्ठा से औरत धर्म निभाती हूं,
वो क्या है ना लड़की हूं इसलिए जल्दी बहक जाती हूं।।
मगर अब मैं भी चुप ना रहूंगी किसी के अत्याचार को यूं ना सहुंगी...
जिन्दगी का मेरे भी एक उसूल होना चाहिए,
जब मैं कुबूल तो मेरा सब कुछ कुबूल होना चाहिए,
लड़की हो यहां मत जाओ,लड़की हो ये मत करो,ये काम तुम्हारे लिए नहीं है ये हम लड़को का काम है ,तुम रहने ही दो तुमसे ना हो पाएगा, तुम बस घर के काम करो,
अरे! इज़्ज़त दो इज्जत लो ऐसा ही कोई RULE होना चाहिए, बातें ऐसी ना कोई फ़िज़ूल होना चाहिए,
कोई किसी से कम नहीं हैं,जिन्दगी में किसके गम नहीं है, तुम नहीं हो अगर हम नहीं है,
मस्ती से जियो जी भर के दिल में किसी के लिए ना कोई हुल होना चाहिए,
लड़की हूं बस इसीलिए मुझे अपनी मर्जी से जीने का कोई हक नहीं, कहां लिखा हैं कि लड़कियों के लिए BOUNDATIONS का पुल होना चाहिए,
अरे! हमारे DRESSING SENSE को छोड़ों, लड़को के नजरिए को बदले हर गांव में ऐसा एक SCHOOL होना चाहिए,
जिन्दगी का एक उसूल होना चाहिए,जब मैं कुबूल तो मेरा सब कुछ कुबूल होना चाहिए।।
Cimposed by...Shilpa Singh Maunsh
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