ईमान जिंदा रख तू अपना जमीर जिंदा रख,
बादशाह भी बन जा तो भी दिल में फ़कीर जिंदा रख,
मंजिले जरूर मिलेंगी ए ईश्वर के बन्दे, बस तू उम्मीदों के जंजीर जिंदा रख,
खुदा का कहर तो सब पर आता हैं,
टूट कर भी मुस्कुराए वही बाज़ीगर कहलाता हैं,
लाख दुख हो जिन्दगी मे मगर खुश रहने की हाथों में लकीर जिंदा रख,
बादशाह भी बन जा तो भी दिल में फकीर जिंदा रख,
झुकता नहीं हैं जो वो टूट के बिखर जाता हैं, फलो से लदा वृक्ष हमेशा अपनी डाली झुकाता है,
दयालु बन कर तू भी प्यार का समीर जिंदा रख,
बादशाह भी बन जा तो भी दिल में फकीर जिंदा रख,
चार दिन की जिन्दगी है एक दिन तुझे भी जाना है, लौटा देगा खुदा को आज तक जो कुछ भी तुमने उनसे मांगा है,
लोगों के दिलो में अपने लिए थोड़ी पीर जिंदा रख,
बादशाह भी बन जा तो भी दिल में फकीर जिंदा रख।।
खुद के बारे में ना किसी पीर से पूछो ना किसी फ़कीर से पूछो,
जानना ही चाहते हो हक़ीक़त अपनी तो,
दो पल अपनी आंखें बन्द करो और फिर अपने ज़मीर से पूछो,
सारी हकीकत आईने की तरह साफ दिखेगी,
ओ हाथों के लकीरों पर भरोसा करने वाले मुसाफ़िर,
कितने अच्छे कर्म किए हैं तुमने, कभी कर्मो के वजीर से पूछो,
जानना ही चाहते हो हक़ीक़त अपनी तो,
बस दो पल अपनी आंखें बंद करो और फिर अपने ज़मीर से पूछो,
होगे बादशाह तुम पूरी कायनात के,
बेशुमार दौलत भी कमाई होगी,
जीती उसने भी पूरी दुनिया थी, क्या ले गया था साथ अपने,
जो चला गया इस दुनिया से खाली हाथ उस बादशाह - ए- समशीर से पूछो,
जानना ही चाहते हो हक़ीक़त अपनी तो,
दो पल अपनी आंखें बंद करो और फिर अपने ज़मीर से पूछो।।
Composed by...Shilpa Singh Maunsh
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.