Shikha Shrivastava
10 May, 2021
माँ
माँ तुझसा न मुझको,अब तक कोई और मिला।
तुझसे ही है अस्तित्व मेरा,तुझसे ही व्यक्तित्व मिला।
बिन पूछे सिखलाती थी, जो बातें तुझको आती थी।
दिन रात लगाती थी,अपने पर कभी नहीँ जतलाती थी।
पढ़ते थे जब हम सब तो, भोर भये जगाती थी।
करती थी हर , जिद पूरी, पर गलत कहाँ सिखलाती थी।
मित्रों सा व्यवहार कभी,कभी गुरु भी बन जाती थी।
गलती हो कितनी भी लेकिन,माफी तो मिल जाती थी।
मंजिल तक पहुंचने तक,तेरा हर पल साथ मिला।
बिन शर्तो के अनवरत,तेरा ही उपकार मिला।
चाहे कितनी मुश्किल हो,आसान बना ही देती है।
माँ ही है ,जो राह सजा ही देती है।
जिन बच्चों को माँ ने मिली,क्या क्या उनके साथ हुआ।।
माँ का साया हो सर पर ,पूरी सबकी हो ये इच्छा।
दूर रहें, फिर भी, दूर नहीँ ,हम् तुझसे माँ।
याद तेरी आती रहती,हर छोटी छोटी बातों पे।
शिखा 9:05:2021
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by shikhashrivastava
10 May, 2021
माँ
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