Shikha Shrivastava
Shikha Shrivastava 02 May, 2021
हार या जीत
खेलते तो हैं दुनिया के ,ये खेल तो सभी। कुछ जीत जाते हैं,पर कोई हारता नहीं। मंजिल न मिली तो क्या, कोई चला ही नहीं। राह पर भटके हुये हैं,राहगीर भी कई। यूँ तो मंज़िलों का होता है, इल्म सभी को कोई पा गया इसे ,कोई पहुंचता ही नहीं।गम ओर खुशी का ,हो कुछ भी मलाल न न। चलते रहना ही, तो है जिंदगी। जीत है कि हार है, कैसे पता करे। के जीने की तो, कोई तसरीह ही नहीं। शिखा तसरीह meaning ,परिभाषा, definition

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by shikhashrivastava

02 May, 2021

जिंदगी का फलसफा

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