शरीफ चच्चा

इंसानियत कै एक कहानी

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Shikha Pandey
Shikha Pandey 14 Mar, 2020 | 0 mins read

शरीफ चचा आज सबेरे से कुछ ठीक न देखात रहे।चाची कहिन कि कुछ खा लिया तौ जा काम पर।काम कै का होवत रहे। लकिन समय कै पाबंद चचा आजतक कबहुं अपने धंधे के साथ समझौता न किहिन।लेकिन आज बात कुछ और बा जेकरे कारण चचा जादा परेशान हये। उनके बीस साल कै बेटवा आज चार दिन होई गै घरे न आवा।

इ बात चचा का अंदर तक खाए जात है। लकीन तब न तो फोन कै कौनो सुविधा रही और न ही इंटरनेट कै।

पुलिस म रिपोर्ट भी कराय देहे रहे। लकिन अब तक कौनों खबर न मिल पाई।

आखिर चार दिन बाद चचा के घरे एक मनहूस खबर आय कि उनकर बिटवा का एक एक्सिडेंट होई गा रहा और जब लाश के कोनो रिश्तेदार न मिला तौ लावारिस समझ के ओकर दाह संस्कार पुलिस कै दिहिस।

चचा पर तौ जैसे पहाड़ टूट पड़ा। लेकिन चचा हौसला से काम लिहिन। अयोध्या के शरीफ चचा इ संकल्प लिहीन की आज के बाद हर लावारिस लाश कै उ दाह संस्कार करिहैं। तब से लेकर आजतक अयोध्या औ आस पास के हर लावारिस लाश के दाह संस्कार शरीफ चचा करत हैं।

अबही हाल म सरकार शरीफ चचा का पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किहीस है।शरीफ चचा हम सबकी ताय प्रेरणा हये।

धन्यवाद।

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Shikha Pandey

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