ढूंढ कर पुराने सामान में
निकाल ली एक पुरानी डायरी
याद था मुझको अच्छी तरह से
थी उसमें एक रेसिपी मेरी
पर खोलते ही डायरी
नीचे गिर गए कुछ सूखे फूल
और याद दिला गए वो पल
जिन्हें शायद मैं गई थी भूल
चंद पुर्जे भी निकले
यूं ही कुछ लिखे हुए
वो बातें अक्सर हम जो करते
सबमें मिले फिर भी छुपे हुए
एक चॉकलेट का रैपर भी था
तुमने दिया था मुझे कभी
दिन तो शायद याद नहीं
पर यादें अब भी समेटे सभी
हर लम्हा संजोंकर रखा था
तुमसे जुड़ी हुई हर याद
सोचा था साथ मिलेंगे जब भी
दोहरा लेंगे हर पुरानी बात
कहां मालूम था कि बिछुड़ेंगे जो
तो फिर ना मिल पाएंगे
याद तो आओगे हमेशा
पर यादें बन कर ही रह जाओगे
पोंछ के अपनी आंखें
सहेज के रख दी सब यादें
भूल गई वो रेसिपी भी लेना
याद रही बस अब पिछली बातें
इसलिए ही शायद कभी
डायरी में संजोए थे ये पल सभी
अब बस इन्हीं का साथ है
बाकी सब गुजरी हुई पुरानी बात है
शैली गुप्ता
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
सच, डायरी की बात तो साथ साथ चलती है याद बन कर, बाकी सब पुरानी बात है
जी बिल्कुल 😊😊
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