कोई न्यूज़ चैनल देख लो या अखबार पढ़ लो - आधी से ज्यादा खबरें दिल को दहला जाती हैं। बड़ा डर लगता है ऐसे में अपने छोटे से बच्चे को स्कूल भेजने में या कहीं और भी। किसी पर विश्वास नहीं होता आसानी से।
पर बच्चे को घर में भी कब तक रोक सकते हैं? यही तो उम्र है उनकी कुछ सीखने की, दुनिया को जानने की और अपने पंख पसारने की।
ऐसे में, बच्चों को जागरूक बनाना ही हमारे हाथ में होता है। जब आपको लगे कि अब समय आने वाला है कि आपको और आपके बच्चे को चाहे कुछ देर के लिए ही सही , अलग रहना पड़ा करेगा बस तब सबसे पहला काम ये करें कि बच्चों को अलग अलग स्पर्श का मतलब जरूर समझाएं। उन्हें अपने आस पास के लोगों में अपने सेफ्टी ज़ोन यानी कि जिन लोगों के साथ बच्चा सेफ है वो बताएं। उन्हें उनके प्राइवेट पार्ट्स के नाम भी बताएं और उन्हें समझाएं कि इन्हें कोई उनके सेफ्टी ज़ोन के बाहर वाला कोई छुए तो वो ज़ोर से चिल्लाए और ना कहे और अपने सेफ्टी ज़ोन में भाग जाए।
माना छोटे से बच्चे को ये सब सिखाते हुए दुख होता है और उसे स्पर्श यानी के गुड टच और बैड टच के बारे में समझाना मुश्किल होता है पर ये तो करना ही पड़ेगा। जितनी जल्दी आप उसे समझाना शुरू करेंगी, उतनी जल्दी आप भी बच्चे से दूर रिलैक्स रह सकेंगी और बच्चा सेफ रहेगा।
शैली गुप्ता
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