खुशी

असली खुशी अपनी के साथ ही मिलती है।

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Shelly Gupta
Shelly Gupta 01 Dec, 2019 | 1 min read

कितना अच्छा लगने लगा है सब कुछ काजल को जब से उसके पड़ोस में रिया रहने आई। ऐसा नहीं था कि काजल पहले खुश नहीं थी या अपनी ज़िन्दगी से परेशान थी। बल्कि उसका तो एक अच्छा खासा खुशहाल परिवार है उसका - अच्छे पति, दो प्यारे बच्चे और एक अच्छी सासू मां जिन्हें वो प्यार से अपने पति रोहित की तरह मां कहती है। कुल मिला कर हर तरह से काजल खुश थी और ना ही कभी कोई कमी अभी तक उसने अपनी शादी के बाद महसूस की थी। 

लेकिन रिया के साथ दोस्ती के बाद काजल को ना जाने क्यों  अपना जीवन थोड़ा खाली खाली सा लगने लगा था। जिस घर में उसे रानी सा लगता था वहां अब कभी कभी लगने लगा था कि बंदिशों का घेरा है। और काजल ने रिया की तरह ही घर पर ध्यान देना कम कर बाजारों का रुख कर लिया। अब उसे अपने बच्चे भी ज्यादा नहीं सुहाते थे। बच्चों को मां के पास छोड़ वो हफ्ते में मूवी भी देखने चली जाती थी रिया के साथ।

सारा घर बिखरने सा लगा था। बच्चे अब थोड़ा सहमे से रहने लगे थे। रोहित को अब काजल पर गुस्सा आने लगा था पर मां ने उसे समझाया कि काजल को अभी कुछ मत कहो। वो खुद ही बहुत समझदार है। मुझे पूरा यकीन है कि वो थोड़े दिन में खुद ही सही राह पर आ जाएगी। तुम बस थोड़ा बच्चों पर ज्यादा ध्यान दो ताकि वो ज्यादा सहम ना जाएं। रोहित को उनकी बात समझ आ गई और सबने काजल को उसके मनमाफिक रहने दिया।

काजल को थोड़ा अजीब तो लगा पर उसने ध्यान नहीं दिया और रिया के साथ आराम से घूमती फिरती। पर थोड़े ही दिन में उसका मन इन सब से भर गया। अब रिया जब भी कोई प्रोग्राम बनाती तो काजल उसके साथ चली तो जाती पर उसे अब इन सबमें आनंद नहीं आता। जो रौनक उसके चेहरे पर रिया के साथ से छाई थी वो अब कहीं खो सी गई। 

ये देख मां ने उस से पूछा कि क्या बात है, तुम इतनी उदास क्यों लग रही हो। काजल पहले तो सकपका गई पर उसने फिर मां को सब बता दिया। मां हंसते हुए बोली, मैं इसी दिन का इंतजार कर रही थी। मुझे पता था कि तुम्हे रिया की चकाचौंध में गुम हो गई थी लेकिन जल्दी ही उकता भी जाओगी क्योंकि ये तुम्हारा स्वभाव नहीं है। कोई भी कितने दिन अपने स्वभाव को छोड़ कर दूसरे के हिसाब से खुश रह सकता है।

चलो, अब छोड़ो इन सब बातों को। तुम्हारा परिवार तुम्हारा इंतजार कर रहा है कब से। काजल मां के गले लग गई। अब उसका मां शांत था। जो खुशी वो बाहर ढूंढ रही थी वो तो उसे घर में ही मिली।

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