जरा सोचिए, आप काम करती घर में फटाफट से इधर से उधर घूम रही हैं और अचानक से एक नुकीली सी चीज़ आपके पैरों के नीचे आ जाती है और आपके मुंह से ज़ोर की हाय निकलती है - ये हम माओं के साथ अक्सर होता है।
घर में बड़ी रौनक सी लगती है इधर उधर सामान को देखते हुए और यही तो दिन हैं बच्चों के सामान को फ़ैलाने के, बाद में बस ये यादें ही रह जाती हैं। पर कुछ कुछ समेटना तो हम अपने बच्चों को सिखा ही सकते हैं।
अब बच्चा हमारी तरह तो समेट नहीं सकता तो आप एक छोटी सी टब या टोकरी देकर खेल ही खेल में बच्चे से सारे खिलौने उसने रखवा सकती हैं जिसे आप बाद में अलग अलग सोर्ट करके रख सकती हैं।
लेकिन बच्चे को ये सब डांट के ना सिखाएं बल्कि करके सिखाएं। टब में खिलौना पहले खुद एक डालें और एक उस से डलवाएं, चाहे तो गिनती गिनते जाएं।
इस से बच्चा खेल खेल में ही सीख जाएगा और उसे बचपन से ही बच्चे को अपना सामान संभालने की आदत पड़ जाएगी और आपको भी कम परेशानी होगी।
जैसे जैसे बच्चे बड़े होंगे वैसे वैसे उनके सामान भी बढ़ेंगे। आप उनके अलग अलग सामान के लिए अलग अलग डिब्बे बना सकती हैं ताकि एक बार में बच्चा एक ही सामान निकाले और सामान आपस में मिक्स
भी ना हो। टाई और बेल्ट आदि के लिए उनकी पहुंच के हिसाब से ही खूंटी लगवा सकती हैं ताकि वो स्कूल से आते ही सारा सामान खुद सहेज कर रख सकें और अगले दिन भी उन्हें सारा सामान स्कूल जाते वक़्त आसानी से मिल जाए।
समेटने को तो ये काम आप भी फटाफट कर सकती हैं पर आज नहीं तो कल सिखाना ये आपको ही है तो क्यों ना ये आज से ही शुरू किया जाए और बच्चों में अपना फैलाया खुद समेटने की शुरुआत की जाए। ये आदतें देखने सुनने में छोटी सी लगती हैं पर काम सारी उम्र आती हैं।
धन्यवाद
शैली गुप्ता
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