धीरे चलो, हौले से बोलो
साड़ी का पल्लू ठीक से लो,
खुले मत रखो,बाल बाँधलो।
सुनो! यूँ बेवजह क्यों हँसती हो
तुम्हारी पायल कितना शोर करती है
ये चूड़ियां देहाती लगती है।
ग़ज़ भर सिंदूर क्यों करती हो
कुछ सीखो,आधुनिक बनो,
छोटे कपड़ें पहनों ,अंग्रेजी बोलो।
लेकिन सुनो! याद रखना
बराबरी की बात मत करना
ज़ुबान बन्द ही रखना,ऐसे ही अच्छी लगती हो!
--शीतल रघुवंशी
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
👌👌
औरत ने जब भी अपनी मर्जी से जीना चाहा है, दुनिया ने सवाल उठाए हैं....🙏
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