आत्म–प्रेम ( self-love )
स्वयं की तलाश में निकली , आज यूँ ही वीराने में ।
अपने लिए काफी हूँ, तो क्यों ढूंढू प्यार जमाने में।
सुकून की खुशबू से महका लूँ मैं भी तन- मन,
व्यर्थ बिताया जीवन, दुनिया को खुशी दिलाने में।
शालिनी शर्मा "स्वर्णिम"
Paperwiff
by shalinisharma