सेकंड इनिंगस

जीवन की दूसरी पारी भी जिंदादिली से जीने के लिए एक सीख देती कहानी।

Originally published in hi
Reactions 0
611
Shalini Narayana
Shalini Narayana 18 Sep, 2020 | 1 min read

74 साल के शर्मा जी ने एक बेहतरीन जिंदगी जी है| आर्मी के रिटायर्ड मेजर जनरल हैं| रिटायर हुए कई साल हो गए पर अभी भी वही कड़कपन झलकता है| 99% बाल सफेद हो गये, कड़क सफेद मूंछें, कड़क इस्त्री की हुई कमीज़ और पैंट, चमकदार जूते| भरा-पूरा परिवार, तीन लड़के, तीन बहुएं, चार पोता पोती|

एक साल पहले मिसेज शर्मा का निधन हो गया, तब से अकेलापन महसूस करते हैं| लगाव सब से है पर सबसे छोटी बहू से आत्मीयता कुछ ज्यादा है| छोटी बहू उन्हें पिता समान मानती है और खूब ख्याल भी रखती है| अपनी मन की सारी बातें शर्मा जी से बेझिझक साझा करती हैं और उन की हर छोटी-बड़ी चीजों का ख्याल भी रखती है| सारी ज़िंदगी देश और परिवार की सेवा में लगा दिया शर्मा जी ने अपने ख्वाहिशों को कभी तवज्जो नहीं दी| परिवार की जरूरतों को पूरा करने में लगे रहे| अब जब रिटायर हुए तो पोते पोतियों के साथ समय व्यतीत करते हैं पर कहीं न कहीं उनका मन करता की अब सारी जिम्मेदारियां खत्म हुई अब अपनी ख्वाहिशों को पूरा कर सकता हूं| एक दो बार उन्होंने अपने बेटों के सामने अपनी इच्छा रखी पर हर बार उन्हें फटकार और हिदायतें ही मिली|

"बाबूजी अब आपकी उम्र हो गई है घर बैठे और आराम करें| और बुढ़ापे में यह कैसी सनक है बाबूजी, अगर कुछ हो गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे आपकी तिमारदारी में हम सारा समय नहीं लगा सकते हमारी नौकरियां है , बच्चों की जिम्मेदारियां हैं| "

बेटों की बातों से उनका मन आहत होता, छोटी बहु सब समझती पर पति के खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती| अपने सारे काम निपटा कर वह शर्मा जी के साथ बैठती और उनकी इच्छा और ख्वाहिशों को समझने की कोशिश करती| मन ही मन बाबूजी के लिए कुछ करने की सोचने लगी|

सुबह सब नाश्ता कर के अपने काम के लिए निकल गए, बच्चे स्कूल चले गए और दोनों जेठानी रसोई का काम निपटा अपने कमरों में चली गई|

छोटी बहू ने डायरी उठाई और बाबूजी के पास गई और

कहा" बाबूजी चलिए एक बकेट लिस्ट बनाते हैं"|

नाम सुन बाबूजी को बड़ा अटपटा लगा , फिर पूछा "बहू बकेट लिस्ट क्या है?"

"बाबूजी आप अपनी इच्छाओं को (जो आपने अभी तक पूरी नहीं की पर आपका मन है करने का)उस पे लीखे और हर दिन एक इच्छा पूरी करेंगे और उसको टिक करेंगे| "

बाबूजी खुश हो गये, पर अगले ही क्षण बेटों की बात याद आई और उनका उत्साह फीका पड़ गया|

"क्या हुआ बाबूजी आइडिया पसंद नहीं आया?"

"नहीं , बहु एसी बात नहीं है| "

"तो फिर कुछ सोचिए मत लिख डालिए अपनी सारी ख्वाहिशें| "

बहु के सिर पर हाथ फेर शर्मा जी लिखने बैठ गए|

1. मैराथन में हिस्सा लेना

2. ट्रैकिंग पे जाना

3. गिटार सीखना

4.…..

बाबूजी में बच्चों सा उत्साह देख छोटी बहू का मन भर आया| फिर बाबूजी की ख्वाहिशों को पूरा करने की शुरूआत हुई| सुबह सुबह सभी के जागने के पहले शर्मा जी दौड़ने निकल पड़ते| सभी के चले जाने के बाद एक म्यूजिक सर आकर शर्मा जी को गिटार सिखा जाते| शाम की चाय के बाद छोटी बहू शर्मा जी के साथ घर के पास वाले पहाड़ तक वाक् कर आती| बाबूजी अब काफी खुश रहने लगे| छोटी बहू बाबूजी का नाम मैराथन में लिखवाकर आ गई| बड़े पोते के जन्मदिन पर घर में एक छोटी सी पार्टी थी बाबूजी ने हैप्पी बर्थडे गिटार पर बजाकर सब को हैरानी में डाल दिया, पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा, शर्मा जी और छोटी बहू कनखियो से एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए| बडी बहुएं खुसफुसाने लगी बुढ़ापे में ये क्या सनक चढ़ी है इन्हें| छोटी बहू ने सुना पर ख़ामोश रही|

कुछ दिनों बाद मैराथन में अपना नाम देखकर बाबूजी चौंके छोटी बहू ने मुस्कुराते हुए कहा चले बाबूजी | घर वालों ने छोटी बहू को खूब खरी खोटी सुनाई पर बहू तो बस बाबूजी की खुशी चाहती थीं| दिल खोलकर बाबूजी ने मैराथन में भाग लिया|

शर्मा जी के समाज वालों ने उन्हें और परिवार वालों को आमंत्रित कर सम्मानित किया मैराथन में सब से बड़ी उम्र के प्रतियोगी होने की वजह से| सब उनके हिम्मत और इस उम्र में उनके जोश की तारीफ कर रहे थे|

शर्मा जी ने सभी का अभिनंदन किया और धन्यवाद देते हुए कहा " जिंदगी जिंदादिली का नाम है, और ख्वाहिशों को पूरा करने की कोई तय उम्र नहीं होती ये मेरी छोटी बहू ने समझाया आज उसी के प्रोत्साहन से मैं यहां आप सब के बीच खड़ा हूं| जिंदगी चलती रहनी चाहिए जब तक है कुछ न कुछ करते रहिए, जिंदगी जी भर कर जिएं जी में भरकर नहीं, और ख्वाहिशें जोड़ते रहिएगा अपनी बकेट लिस्ट में क्यों बहू?

छोटी बहू स्टेज पर आयी सभी का अभिनंदन किया और सब को संबोधित करते हुए कहा माता पिता सारी उम्र अपनी इच्छाओं और ख्वाहिशों को किनारे कर अपने बच्चों की इच्छाओं पर पूरी तरह केंद्रित हो जाते हैं और हम बच्चे उनके बुढ़ापे में उन्हें समझने के बजाय दुत्कार देते हैं| करने दीजिए उन्हें उनके मन का जीने दीजिए उन्हें उनकी जिंदगी, खेलने दीजिए उन्हें उनकी दूसरी इनिंग्स| जब तक ये साथ हैं उनके साथ समय बिताए, इनके चले जाने के बाद सिर्फ यादें रह जाएंगी| जीते जी उनको खुशियां दे| परिवार वाले सर झुकाए छोटी बहू की बातों को सुन रहे थे| बेटों का मन आत्मग्लानि से भर गया|

पर बाबूजी की आंखों में खुशी और गर्व के आंसू थे अपनी बहू के लिए और उसकी उच्च सोच पर|

स्वरचित

शालिनी नारायणा

0 likes

Published By

Shalini Narayana

shalini_Narayana13

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.