दादी की डायरी!!

दादी की जिंदादिली और गांव का अपना पन क्या शालू फिर से गांव का रुख कर पाएगी??

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Shalini Narayana
Shalini Narayana 15 Jun, 2020 | 1 min read

पीले खेतों ने यादों की पिटारी खोल दी... ट्रेन अपनी रफ़्तार से सब सरसों के खेतों को पीछे छोड़ अपने गंतव्य की ओर भाग रहा है और मैं रफ़्तार के साथ अपने अतीत में। सरसों की पीली खेत, अंबिया की बड़ी सी टहनी पर झूलता झूला। नानू की मुलायम दाढ़ी और हथेलियों की मजबूत पकड़ ,मामू की सायकिल पर सवारी। सुबह सुबह नानी का रामायण का पाठ , मिट्टी के चूल्हे पर सिकती रोटी की खुशबू और सिल बट्टे पर पिसती धनिया हरी मिर्च और टमाटर की महकती चटनी, पहली रोटी गाय के बछड़े को खिलाना ,आंगन में नीम के बड़े से पेड़ के नीचे चारपाई पर नानी की कहानियां और प्यार भरी थपकियों से भरी दुपहरी। रात को दिया बत्ती कर सब का एक साथ खाना खाना और हंसी ठहाकों कुछ गूंज।गरमी की छुट्टियों भी किसी दुआ से कम नहीं हुआ करती थी। हर साल गर्मी की छुट्टियों का बेसब्री से इंतजार करना । आह !! नानू नानी के गांव में आए अरसा बीत गया।जब ब्याह कर के गई थी तब से गांव की तरफ रुख नहीं कर पाई। पर नानी की आखरी इच्छा थी अपने पड़पोते को एक नजर देखने की। मैं अपने परिवार को साथ ले गांव की ओर निकल पड़ी। गांव में कदम रखते ही मिट्टी की महक ने अंदर तक तरो ताजा कर दिया। नानू नानी आज भी उसी मिट्टी के घर में रहते हैं थोड़ा बहुत नयापन और जरूरत के मुताबिक के सामान पुराने घर में जरूर जुड गए हैं पर पुराने घर की खुश्बू आज भी देसी की वैसी है। नानी के कमरे की तरफ बढ़ी खाट पर नानी का जीर्ण शरीर देख खुद को रोक नहीं पाई।नानू ने अपने पड़पोते को गोद में उठाया और नानी के पास ले गए। नानी ने अपने पड़पोते को गले लगा आशिर्वाद की बौछार कर दी। मुझे और अनिल( मेरे पति) को आसीस देकर नानी ने अपने पास बिठाया।असल से सूद ज्यादा प्यार होता है शालू। तेरी अम्मा से ज्यादा प्यार मुझे तुझसे है और अब सिद्धार्थ से। मैं अपने आंसू और हंसी दोनों रोक नहीं पाई।जिस नानी को पूरे घर में चरखे की तरह चलते देखा था उन्हें ऐसी स्थिति में देख पाना मुश्किल हो रहा था।पर नानी की भी उम्र हो गई थी और उन्हें खुश देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा।

सुबह चिड़ियों की चहचहाहट से नींद खुली। नानी और नानू चाय पी रहे थे।नानू ने उठकर मुझे भी अदरक वाली चाय की प्याली थमाई। नानी ने हंसते हुए कहा नानू के हाथों की चाय पीकर देख दुनिया की सबसे बढ़िया चाय बनाते हैं तेरे नानू, नानी के आंखों में नानू के लिए प्यार और स्नेह देख मन अंदर तक भीग गया। एक सदी का सानिध्य, स्नेह,अटूट विश्वास,और साथ आजकल कहा देखने को मिलता है। थोड़ी देर में अनिल दो साल के सिद्धार्थ को लिए बाहर आ गए।चाय पर थोड़ी गपशप के बाद नानू ने सिद्धार्थ को ठीक उसी तरह कंधे पर बिठाया जैसे मुझे बिठाया करते थे अनिल की आंखों में घबराहट देख नानू ने हंसते हुए अनिल के कंधे पर हाथ रखा और कहा चलो बेटा खेत की सैर कर आते हैं,शालू तब तक नाश्ता बना देगी।

नानू और अनिल के बाहर जाने के बाद मैं नानी की निगरानी में नाश्ता बनाने लगी,सिल बट्टे पर मसाला पीसना चूल्हे पर नाश्ते की तैयारी मुझे जमीन से जुड़ा हुआ महसूस करा रहे थे।शाम तक अम्मा बाबूजी,मामा मामी जी भैया भाभी सब आ गए। पूरा घर भरा पूरा लग रहा था। नानी नानू की आंखों में संतुष्टी देख सुकून मिला।एक बुजुर्ग दंपति अपने जीवन के आखिरी दिनों में अपने भरे पूरे परिवार के अलावा कुछ नहीं चाहता। नानी के साथ गुजारे आखरी कुछ दिन मेरे समृती पटल पर हमेशा के लिए ताजा रहेंगे। नानी ने हंसते, संतृप्त मन से अपनी आंखें मूंद ली मानो अपनों के हंसते हुए चेहरे अपने आंखों में ले जा रही हो।

नानू को अपने साथ चलने की जिद सभी करने लगे पर नानू नानी की खुशबू से भरे घर के हर कोने के संग अपना समय व्यतीत करना चाहते हैं। उनके इच्छा कि मान सबने रखा इस वादे के साथ के नानू कुछ दिनों बाद मामू के पास रहने वाले हैं। 

मेरे जाने का समय भी नजदीक आ गया, नानू से विदा लेने पहुंची तो नानू ने नानी की संदूक से नानी की शाल और एक डायरी मुझे दी।नानू का आशीर्वाद लें भरे मन से मैं और अनिल सिद्धार्थ को ले निकल पड़े।

ट्रेन में बैठते ही मैंने नानी की डायरी खोली उसमें हमारे बचपन के कुछ तस्वीरें, हमारे गर्मी की छुट्टियों के कुछ किस्से कहानियां पन्नों पर हल्दी के दाग़ शायद रसोई में होगी नानी जब उन्हें कोई बात याद आई और वो लिखने बैठ गई।कुछ शब्द धुले हुए शायद ये वो पल होंगे जब नानी मुझे और अम्मा को याद कर रोई होंगी। मेरे स्कूल की पहली उपलब्धि का दिन और समय नोट कर के रखा हुआ। मेरी शादी की तस्वीरें, मेंहदी के लाल रंग कुछ पन्नों पर शायद मेंहदी लगे हाथों से हमारी यादों को शब्दों में पिरोया रही थी।

उनके पड़पोते की जन्म तिथि और समय ऐसी बहुत सी खुशियों को नानी ने अपने छोटे से डायरी में समेट रखें थे। नानी की खुशबू , स्नेह और उनकी डायरी को सीने से लगा मैं खिड़की के बाहर की पीली सरसों की खेतों में अपने बचपन को हमेशा के लिए छोड़ निकल पड़ी अपने घरौंदे की ओर।

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Shalini Narayana

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Babita Kushwaha · 4 years ago last edited 4 years ago

    प्यारी कहानी

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