मुझे पढ़ने का शौक़ रखों

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Shakeb
Shakeb 16 Sep, 2019 | 1 min read

मुझे पढ़ने का शौक़ रखों

मैं वाही पुरानी भाषा हु


मैं तुम्हारे बाप दादा की

तुम्हारे घर के आँगन की छाया हु. . .


मुझे थाम के रखो

वरना फ़िसल जाउंगी मैं

मैं तुम्हारी विरासत ह

हाथ से निकल जाउंगी मैं.


माना तुझे और भी भाषा की ज़रुरत आन पड़ी है


माना तुझे मेरी अब उतनी न पड़ी है


मगर कुछ तो बुजुर्गो का लिहाज़ रखो

आपने बाप दादा की विरासत को संभल के रखो


मुझे झुटला दोगे तुम


मुझे भुला दोगे तुम

मगर में ही तुम्हारा दर्पण हु

तुम्हारा अतीत , भविष्य


वर्तमान हु मैं...



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