इक ग़ज़ल लिखी कल रात ने |
कुछ अनकहे से जज्बात ने ||
तकिये से लिपटे - सिमटे से |
उन अश्कों की बरसात ने ||
दीवार -ओ-दर गुमशुम से हैं |
कुछ कह दिया तेरी बात ने ||
हैरां किया उस चांद को भी|
कुछ लम्हों की मुलाकात ने ||
दीवाना कर दिया "सृजिता " |
उसकी यादों की बारात ने ||
-सीमा शर्मा " सृजिता "
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.