अनगिनत ख्याव आंखों में सजे बैठे हैं
पूरे करूं उनको सपने मुझसे ये कहते हैं
मगर जिंदगी है कि चलती जा रही है
रेत की तरह फिसलती जा रही है |
लब हरपल मुस्कराना चाहते हैं
दिल की बात अपने बताना चाहते हैं
खामोश निगाहें कुछ छिपा रही हैं
रेत सी जिंदगी फिसलती जा रही है |
धीरे -धीरे मैं भी शिव हो रही हूं
कतरा कतरा जहर पी रही हूँ
रिश्तों की डोर यूं संवर जा रही है
रेत सी जिंदगी फिसलती जा रही है |
अल्हड़पन, नादानियां बात हुई पुरानी
छूटी कहीं वो दादी नानी की कहानी
उम्र से पहले ही समझदार बना रही है
रेत सी जिंदगी फिसलती जा रही है |
याद आते हैं अक्सर दोस्ती के अफसाने
मुस्कराहट और खिलखिलाने के जमाने
उन लम्हों के लिए अब तरसा रही है
रेत सी जिंदगी फिसलती जा रही है |
करना है तो कुछ अच्छे कर्म कर ले
ऐ इंसान सबका दर्द तु समझ ले
कुदरत भी अब तो कहर ढा रही है
रेत सी जिंदगी फिसलती जा रही है |
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