मैं ही तो मातृशक्ति हूं...
उन्मुक्त जहां में जन्मी हूं
उन्मुक्त उडा़न भरने के लिए
मत कैद करो किसी पिंजरे में
अपनी मनमानी करने के लिए
ये खुला आसमां मेरा भी है
हक है मुझको भी छूने दो
देखे हैं कुछ सपने प्यारे
तुम साथ रहो तो पूरे हों
बैठी हूं गर चुपचाप अभी
कमजोर समझकर मत हंसना
बगावत पर उतर आई तो
पिंजरा तोड़ भी सकती हूं
मैं ही दुर्गा मैं ही काली
मैं ही तो मातृशक्ति हूं....
-सीमा शर्मा "सृजिता"
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