बेटी बनकर जब वो आई
बाबुल का आंगन महका दिया
प्यारी - प्यारी शरारतों से
पूरा परिवार चहका दिया
बाबा की बनी दुलारी वो
मां को प्राणों से प्यारी वो
जब गई छोड़कर वो घर बार
सूना कर गई मायके का संसार |
बहु बनी किसी के घर की शान
बढा़ने चली ससुराल का मान
नये जीवन की जिम्मेदारी उठाकर
परिवार को सबसे महत्वपूर्ण बनाकर
फर्ज निभाये ,रखी चेहरे पर मुस्कान
खुशियों से सजाया घर ,जो था मकान
हर दर्द और तकलीफ को छुपा लिया
इस तरह बहु होने का धर्म निभा लिया |
पत्नी बनी हमसफर का हाथ थामकर
सातों वचन निभाने चली मुस्कराकर
हर दर्द में वो हमदर्द की दवा बन गई
हर घडी़ मुसीबत में वो अडी़ रही
परछाई बनकर साथी की ,रचा नया संसार
कुछ इस तरह बिखेर दिया पत्नी का प्यार |
मां बनी सम्पूर्ण हुई नारी का नवरूप लिया
जान हथेली पर रखकर संतान को जन्म दिया
अपना बचपन लगी ढूढंने महक उठी उसकी बगिया
मां बनकर जीवन का अनमोल रूप पा लिया
समझदार हुई, जिम्मेदार हुई मातृत्व से भरपूर
सबसे अनोखा सबसे प्यारा नारी का ये रूप |
वो बहन, सखी, भाभी, चाची और दादी
न जाने कितने अनमोल रिश्ते जी जाती
पवित्रता से पूर्ण मन ,नीयत जिसकी नेक
नारी तेरे रूप अनेक, नारी तेरे रूप अनेक |
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