यूं हमें चाहोगे........
तुम्हारी धड़कनें भी नाम लेंगी
भीड़ में भी पहचान लेंगी
दूर होकर भी ना दूर हो पाओगे
यकीं हैं मुहब्बत में यूं हमें चाहोगे |
आज तो कर रहे हो हम पर
सितम
पछताओगे इक दिन जी भर सनम
याद आयेंगे तो छुपकर आंसू बहाओगे
यकीं है मुहब्बत में यूं हमें चाहोगे |
तन्हाईयों को हमें तोहफे में देकर
हमारे हर दर्द से बेखबर होकर
बदले में तुम भी दर्द पाओगे
यकीं है मुहब्बत में यूं हमें चाहोगे |
क्या हुआ जो आज नहीं नाम लबों पर
क्या हुआ जो पीना हमें जुदाई का जहर
एक दिन चीखकर हमें ही बुलाओगे
यकीं है मुहब्बत में यूं हमें चाहोगे |
-सीमा शर्मा "सृजिता"
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