कलम की दुनिया......
कलम के जहां में यूं मशगूल हो गए हम |
दुनिया की खामियों से दूर हो गए हम !"
तराशने लगे जब उठाकर कलम |
देखते ही देखते कोहिनूर हो गये हम ||
मन के भाव यूं बिखरने लगे अब |
अपनी ही रजा़ में चूर हो गये हम ||
तलाशा है खुद को ,खुद के ही अन्दर
अधूरे से थे ,भरपूर हो गये हम ||
ये दुनिया बडी़ खूबसूरत है "सृजिता "
इसको अपना बना मशहूर हो गये हम ||
सीमा शर्मा "सृजिता"
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
वाह 👏👏
Nice
धन्यवाद बबिता जी
धन्यवाद सोनू जी
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