पूस की रात

A cute love poetry

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Seema sharma Srijita
Seema sharma Srijita 27 Oct, 2020 | 1 min read



ये पूस की रात सदियों सी लग रही है 

सर्द है मगर विरह में तुम्हारे जल रही है 

टूट रहा है दिल का कोई टुकडा़ बिखरा सा 

मचल रहा मन मन्दिर में ख्याब तुम्हारा भंवरा सा 

चांद भी बडा़ उदास लग रहा देख हाल मुझ विरहन का 

तारे सारे नम - नम से हैं समझ हाल मेरे मन का 

शीत लहर बन रही दीवानी मुझको छू कर जाती है 

याद नहीं कोई लम्हा जब याद तुम्हारी नहीं आती है 

अपलक सी बैठी हूं कब से इन्तजार में मैं जोगन 

आओगे दिल कहता है सब छोड़ के तुम इक दिन 

इसी आस में जी रही हूं हर पल मैं जल जल कर 

पूर्ण करोगे तपस्या मेरी मेरे प्रियतम मेरे बनकर |


@सीमा शर्मा "सृजिता"

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