कागज की कश्तियां

बचपन की यादें

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Seema sharma Srijita
Seema sharma Srijita 25 Jan, 2021 | 1 min read
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कागज की कश्तियां 


आज भी याद है वो कागज की कश्तियां 

बचपन वाली वो अल्हड़ सी मस्तियां 

बारिश के आते ही खिल खिल जाना 

नंगे पैर दोस्तों संग दौडे़ चले जाना 

खूब खिलखिलाना और खूब मुस्कराना 

बारिश में कागज की कश्तियां चलाना |


नटखट सा मन था, जीवन उपवन था 

हर ओर हरियाली थी और खुशहाली थी 

ना डर था ना नफरत ना जलन ना हीं कपट 

सबसे खूबसूरत था बचपन वाला सफर 

ना मालूम था लौट फिर ना आयेगा जमाना 

बारिश में कागज की कश्तियां चलाना |


मिट्टी में सने पैर लेकर घर में घूम आते थे

 मिलकर सब भाई बहन खूब धूम मचाते थे

 बेफिक्री ,अल्हड़पन था मासूम सा मन था 

उम्र के पडावों में सबसे हसीन बचपन था 

अब जाकर समझ आया है ये फसाना 

बारिश में कागज की कश्तियां चलाना |


सीमा शर्मा पाठक " सृजिता "


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Seema sharma Srijita

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sonia Madaan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Well penned 👏. Kagaz ki kashti Wala samay bhi kitna acha tha

  • Seema sharma Srijita · 3 years ago last edited 3 years ago

    Ji thank you.... Correct

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