उम्मीद

इक प्रेम दीवानी की कहानी

Originally published in hi
Reactions 1
479
Seema sharma Srijita
Seema sharma Srijita 21 Feb, 2021 | 1 min read
1000poems Love

वर्षों से वो बैठी थी 

टकटकी लगा दरवाजे पर

छोड़ गया प्रियतम उसका

शहर से उसके आने तक


अनगिनत उम्मीदों की किरणों से 

था उसका जीवन रोशन

उम्मीद के दीये जCTलाती थी 

लौट आयेगा एक दिन प्रियतम 


कभी छत की मुँडेर पर जा बैठे 

कभी पीपल के पेड़ के नीचे 

कभी नहर किनारे बैठकर

अंखियन को अंसुअन से सींचे 


कोई कहे इश्क़ में दीवानी

कोई कहे हो गई ये पागल 

कोई कहे जोगनिया -मस्तानी 

कोई कहे मौहब्बत में घायल


पल पल इन्तजार करे उसका

जो भूल गया शहर जाकर

इसी गांव की गलियों में

किया वादा ले जायेगा ब्याहकर 


मां तो बचपन में चली गई 

बाबा भी अब रहे नहीं 

वो बैठ अकेली अपने घर

उम्मीद के दिये जलाती है 


ले जायेगा बनाकर दुल्हन एक दिन 

हर रोज ये स्वप्न सजाती है 

कभी गाती है ,कभी मुस्काती है  

बिन बात में हंसती जाती है 


डगमगाये गर उम्मीद का दीया

अंसुअन से आंचल भिगाती है 

लेकिन फिर खिल जाती है 

उम्मीद की किरन उसके मन में 


आयेगा एक दिन प्रियतम उसका

वापस उसके जीवन में 

इसलिए फिर जा बैठती है 

टकटकी लगाने दरवाजे पर 

अपने प्रियतम के आने तक|

1 likes

Published By

Seema sharma Srijita

seemasharmapathak

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.