चन्द लम्हों के लिए मैं हवा बन जाऊं |
फिर से छूकर उसे महसूस कर पाऊं ||
यूं तो दिल धड़कता नाम सुन सनम का |
नजदीक जाकर मैं उसको भी सुनाऊं ||
महसूस कर सके वो दर्द-ए-दिल मिरा |
अनकही बातें दिल की उसको बताऊं ||
हाथों को उसके जब हाथ में थाम लूं मैं |
हौले- हौले से अपनी पलकें छलकाऊं ||
आंखों में अश्क तो उसके भी होगें जरूर |
पहले की तरह आज फिर पौंछ आऊं ||
रूह में इश्क आज भी महकता है उसका |
एक बार फिर से मैं उसको कह पाऊं ||
लिखे हैं गीत गजल उसकी मौहब्बत में
वो सुने "सृजिता " और मैं गुनगुनाऊं ||
सीमा शर्मा "सृजिता"
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Soulful poetry😊
Thank you Sonia ji
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