माटी का दीया

Importance of Diya

Originally published in hi
Reactions 0
866
Seema sharma Srijita
Seema sharma Srijita 15 Feb, 2021 | 1 min read
1000poems

मैं माटी का दीया हूं ...


तिमिरता को मिटाकर 

घर घर उजाला करता हूँ 

जलता आया सदियों से 

अपनों की खातिर जीता हूँ 


गरीब हो या अमीर हो 

मैं सबके घर में मिलता हूं 

ऊंच -नीच ,जाति -पाति

ना भेदभाव करता हूँ 


नई दुल्हन के आगमन पर

शगुन बनकर जलता हूं 

तीज और त्यौहारों की 

शान बनकर खिलता हूँ


तन्हाई हो या रौनकें 

हर परिस्थिति में एक रहा 

बनावटीपन की चमक में 

मेरा अस्तित्व अब खो रहा 


तुम्हारी संस्कृति का हूँ अंग 

मुझसे ही तो है सारे रंग 

जीवन के अधिंयारों को 

जल जलकर मैं पीया हूं 


मैं माटी का दीया हूँ ...

मैं माटी का दीया हूँ.... 

0 likes

Published By

Seema sharma Srijita

seemasharmapathak

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.