छुपा कर जो रख लेती हूँ
मन के किसी कोने में
कुछ अनकहे से वो जज्बात
कह देते हैं मेरे अल्फाज |
बडा़ गहरा रिश्ता है
अल्फाजों का मन से
जो कभी न दिखता है
महसूस किया जा सकता है
लाख जतन कर ले ये मन
पर बोल उठती है मेरी कलम
मन में छुपाया हर भाव
कह देते हैं मेरे अल्फाज |
हर दर्द मेरा हर खुशी मेरी
अट्टहास हो या उदासी मेरी
मेरी खामोशी की ये जुबान
मन के भावों का ये मकान
कुछ देखूं अपने आसपास
कुछ असर करे दिल पर खास
रोशन हो या अंधेरी रात
सब कह देते मेरे अल्फाज |
मिलन का उत्साह उमडे़ मन में
या जल उठे विरह की अगन में
वसन्त का चाहे हो आगमन
पतझड़ ने घेरा हो आंगन
हर छोटे बडे़ उमड़ते भाव
मन में उठता हर उदगार
चाहे हो छुपाया कोई राज
कह देते हैं मेरे अल्फाज |
सीमा शर्मा " सृजिता "
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