बोली मुझसे एक बहिन
सब कविता कहानी पढ़ी मैंने
कितना अच्छा तुम लिखती हो
आधुनिक और स्वतंत्र
विचार तुम रखती हो
फिर क्यों अपने ही ससुराल में
पुरानी विचारधाराओं को ढोती हो
आज की लड़की होकर भी
साडी़ में लिपटी रहती हो
और सर पर पल्लू रखती हो
पता है देखने में कितनी
ओल्ड फैशन तुम लगती हो
मैं मुस्काई और जबाब दिया
गर मेरे साडी़ पहनने से
और सर पर पल्लू रखने से
खुश होते हैं मेरे ससुर सास
पति के चेहरे पर आते हैं गर्व के भाव
खुश रखूं उन्हें मेरा फर्ज यही
और इसमें मुझको कोई हर्ज नहीं
जो मिला है इस घर में मुझको
क्या क्या गिनवाऊं में तुझको
खुशियों से भरी मेरी झोली
है प्यार भरा मेरा संसार
फिर क्यों मात्र पहनावे के लिए
कर लूं अपनी खुशियां बरबाद
किसने कहा पहनावा ही होता है
आधुनिकता की पहचान
ये बात गलत है बहन मेरी
सोच समझ ले तु ये जान
गर फिर भी तुमको लगता है
पढी़ लिखी होकर भी मैं
लगती हूँ बडी़ ओल्ड फैशन
तो हां जी मैं कह सकती हूं
हाँ जी मैं नहीं मॉर्डन ....
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