सतरंगी पल
आज भी पलकों में समेटे
रखा है वो बीता कल
तेरी बाहों में तेरी पनाहों में
जीये जो सतरंगी पल |
तेरी दीवानी बनकर मैंने
तुझको मान लिया था खुदा
था वादा छूटे चाहें सब
होगें हम कभी ना जुदा
मुस्कानों की बस्ती थी वो
प्यारभरा संसार था
रूह में आज भी बसा हुआ
ऐसा तेरा प्यार था
बिखरी जुल्फें संवारना
वो मुझ पर खुद को हारना
मेरी आशिकी में बन पागल
चुपके चुपके से निहारना
दुनिया से छुपकर मिलते थे
बेहद मौहब्बत करते थे
स्वप्नों का जहां बनाते थे
बिन बात में मुस्काते थे
वो इश्क की गलिया मनभावन
प्यारा चाहतों वाला मौसम
मैं तुझमें खुद को समा बैठी
तु भी तो था मुझमें गुम
माना हम पास नहीं है अब
रग रग में यादें बसी हैं सब
ना लौटेगा वो बीता कल
तेरे साथ बिताये सतरंगी पल
उस हर पल को याद करके
तेरी सलामती की फरियाद करके
मैं जी लूंगी आने वाला कल
पलकों में रख लो सतरंगी पल |
सीमा शर्मा "सृजिता"
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.