जख्म गहरे हैं जरा मरहम लगा दो |
बहुत रो लिए अब मन है हंसा दो ||
हम तो भूले सारी दुनिया मुहब्बत में |
डूबकर चाहत में तुम भी भुला दो ||
जागते नैन हैं सदियों से इन्तजार में |
कुछ पल ही सही इनको सुला दो ||
तिमिर ने घेरा सपनों का महल अपना |
मिलन के दीयों से फिर इसको सजा दो ||
हमने खो दिया खुद को न जाने कहां |
तेरे दिल में बसे जरा उससे मिला दो ||
बना लो हमें अपना अब सदा के लिए |
गर नहीं तो आओ ,हमको मिटा दो ||
मुहब्बत "सृजिता" कोई गुनाह तो नहीं |
दर्द -ए-दिल की सनम यूं ना सजा दो ||
@सीमा शर्मा "सृजिता"
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