अधिकार

नारी मन के भाव

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Seema sharma Srijita
Seema sharma Srijita 07 Feb, 2021 | 1 min read
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तुम कहते हो मैं अधिकार मांगती हूं 

बराबरी का तुमसे दर्जा चाहती हूँ 

तुम गलत हो

तुम समझ ही नहीं पाये 

ना मुझे और ना ही मेरी भावनाओं को 

मैं तुमसे बराबरी का अधिकार क्यों मांगू 

तुमसे बहुत आगे हूं मैं

संकल्प में

धैर्य में,

सहनशीलता में,

वचनबद्धता में 

प्रेम में,

समर्पण में

और दर्द को न केवल 

सहने में बल्कि छिपाने में 

मैंने बस इतना ही चाहा

पा सकूं तुम्हारी 

वो पाक नजर

जो मेरे प्रति सम्मान से भरी हो 

जो मेरी आन्तरिक सुन्दरता को देख सके 

वो निस्वार्थ प्रेम जो रूह को छू सके 

बिना मुझे छुये

वो दिल जो मुझे समझ सके 

वो अहसास जो मेरे अस्तित्व को स्वीकारे 

वो जज्बा जो मेरे लिए लड़ सके किसी से भी 

और हर पल तुम्हारा साथ क्योंकि जानती हूँ 

अधूरी हूं मैं भी तुम्हारे बिना

जैसे तुम हो मेरे वगैर 

मुझे तुम्हारे बराबर कभी होना ही नहीं है 

क्योंकि तुम कभी हो ही नहीं सकते..






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Seema sharma Srijita

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