शब्द शब्द का अर्थ है समझा
दिन रात पढी़ वो किताब हो तुम |
चमकते जुगुनुओं सा रोशन जीवन
अंधेरों को मिटाता आफताब हो तुम |
पलकों की कोख में बसता -सजता
खूबसूरता सा वो ख्याब हो तुम |
जीती - मरती बस जिसके लिए
वो इश्क मिरा बेहिसाब हो तुम |
पूछते लोग ,राज मेरी दीवानगी का
उनके हर प्रश्न का जबाब हो तुम |
मालूम हैं हासिल न थे न हो पाओगे
फिर भी मेरे दिल के नबाब हो तुम |
सीमा शर्मा "सृजिता"
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