इश्क -ए-सुरुर

A sweet love poetry

Originally published in hi
Reactions 0
487
Seema sharma Srijita
Seema sharma Srijita 27 Oct, 2020 | 1 min read



स्याह रात के आलम में अरमान जब मचलते हैं 

कैसे बताये हम हरजाई मुश्किल से संभलते हैं 

गहरा सा सन्नाटा मन को खाये जाता है 

चांद भी तन्हा तन्हाई में तेरी याद दिलाता है 

तारे गिन गिन रात गुजारी दिल पर जुल्म हमने किया 

मुडेंर पे बैठे अपलक हम करते रहे इन्तजार पिया 

बंजारा सा मन हुआ है नैन बडे़ खामोश है

इश्क नशा कुछ यूं चढा़ होश में भी मदहोश हैं 

आंख फड़कती हर घडी़ दिल कहता तुम आओगे 

आओगे तो पूछेगें अब कब तक यूं तड़पाओगे 

सो रहा सारा जहां हम जागते बैठे रहे 

ये रात बैरन हुई गुजरने में सदियां लगे 

बिन कहे ही जान लो, पहचान लो इश्क -ए-सुरूर 

थक गये तन्हाईयों से आ भी जाओ अब हुजूर |


@सीमा शर्मा "सृजिता"

0 likes

Published By

Seema sharma Srijita

seemasharmapathak

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.