चिन्ता के मुख पर भाव न होते
बडे़ बड़े कोई ख्वाब न होते
सबकुछ कितना अच्छा होता
ऐ दिल अगर तु बच्चा होता .......
जीवन खुशियों का समन्दर होता
हंसी और मुस्कराहटों का घर होता
भले ही वो घर कच्चा होता
ऐ दिल अगर तु बच्चा होता ....
जलन कपट को हम नहीं जानते
नफरत और झूठ को न पहचानते
दुनिया में सबकुछ सच्चा होता
ऐ दिल अगर तु बच्चा होता ....
भेदभाव और स्वार्थ की भावना
होती कभी ये अपनी चाह ना
जहां ये मौहब्बत का लच्छा होता
ऐ दिल अगर तु बच्चा होता ....
खेल कूद कर कभी हम थक जाते
मां के आंचल में जा छुप जाते
हर रिश्ता हमारे लिए अच्छा होता
ऐ दिल अगर तु बच्चा होता .....
अपनी शरारतों से खुशियां बिखराते
अल्हड़पन में ही हम मुस्कराते
जीवन का वो हर लम्हा सच्चा होता
ऐ दिल अगर तु बच्चा होता ....
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