जख्म गहरे हैं मगर भर जायेंगे |
वक्त के साथ हम संवर जायेगें ||
हो गये बेवफा जानेजहां तुम |
मगर फिर भी वफा हम कर जायेगें ||
तुम्हारी याद में रोते नहीं हम |
जो रोये टूट के बिखर जायेगें ||
बडे़ खामोश हैं दीवार-ओ-दर भी |
पूछते हैं वो कब इधर आयेंगे ||
अगर हम रूठते हैं इस जहां से |
नहीं तुमको कभी नजर आयेगें ||
बडी़ मुश्किल से निकले यादों से |
ना अब हम लौटकर उधर जायेगें ||
अभी जिंदा हैं क्यों हैरत में हो तुम |
क्या सोचा था "सृजिता " हम मर जायेगें ||
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