जख्म

हिन्दी ग़ज़ल

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Seema sharma Srijita
Seema sharma Srijita 11 Feb, 2021 | 1 min read
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जख्म गहरे हैं मगर भर जायेंगे |

वक्त के साथ हम संवर जायेगें ||


 हो गये बेवफा जानेजहां तुम |

मगर फिर भी वफा हम कर जायेगें ||


तुम्हारी याद में रोते नहीं हम |

जो रोये टूट के बिखर जायेगें ||


बडे़ खामोश हैं दीवार-ओ-दर भी |

पूछते हैं वो कब इधर आयेंगे ||



अगर हम रूठते हैं इस जहां से |

नहीं तुमको कभी नजर आयेगें ||


बडी़ मुश्किल से निकले यादों से |

ना अब हम लौटकर उधर जायेगें ||



अभी जिंदा हैं क्यों हैरत में हो तुम |

क्या सोचा था "सृजिता " हम मर जायेगें ||

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Seema sharma Srijita

seemasharmapathak

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