Sarita Chawla
22 Sep, 2022
पानी जैसा मन
मन हूँ मैं…
चंचल हूँ बाल्य में, निश्चल हूँ प्रेम में ,
पवित्र हूँ कृष्ण में और पाप हूँ मैं दुर्योधन में,
शांत हूँ मैं राम में ,रावण में अशांत हूँ,
निर्मल हूँ मैं माँ में और कोमल हूँ मैं पिता में ,
अनगिनत रूप हैं मेरे …..
मैं तो मन हूँ,बस बहता जाता हूँ अपने मन की नाँव में ।
Paperwiff
by saritachawla
22 Sep, 2022
मन हूँ मैं
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