शीर्षक-अंगूठी
सुधा जी आज सुबह से बहुत व्यस्त थी और खुश भी बहुत थी।
आज उनका लाडला बेटा जो आने वाला था।
वह कमला को बार-बार समझा रही थीं राज का रूम साफ कर दिया ना
और सारी चीजें उसकी जगह पर ही होनी चाहिए तुमको पता है ना वह
आर्मी वाला है, कमला हंसते हुए कहती है मां जी एक ही बात कितनी बार समझाएंगी।
गाड़ी की आवाज सुनते ही सुधा जी बाहर आती हैं।
दौड़ता हुआ राज उनसे लिपट जाता है अपने बेटे का चेहरा हाथों में लेकर
बड़े गौर से देख कर बोलती हैं पूरे 1 साल 28 दिन के बाद तुम्हारा चेहरा देख रही हूं। राज हंसते हुए पूरे 1 महीने की छुट्टी लेकर आया हूं मां इस बार तो होली बीता कर ही जाऊंगा।
राज के पिता उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहते हैं
फिर तो इस छुट्टी में राज की सगाई भी कर ही देते हैं, पंडित जी से बात करता हूं । पंडित जी ने परसों का दिन बताया है सगाई के लिए पर शादी का अच्छा मुहूर्त तो होली बाद ही है।
सुधा जी परेशान हो उठती हैं इतनी जल्दी सारी तैयारियां कैसे होंगी
और राज भी होली तक ही है।राज बोलता है अभी की तैयारी करते हैं मां
शादी के लिए मैं छुट्टियां बढ़वा लूंगा।
सगाई वाले दिन सिमरन छुप-छुप के राज को देख रही थी और राज उसे अपलक निहार रहा था।
सगाई हो गई कुछ मेहमान चले भी गए, राज ने सिमरन को बाहों में भर के एक दूसरे की अंगूठियों को हाथों से मिलाते हुए कहता है देखो 5 साल के संघर्ष के बाद आखिरकार मैंने सब को मना ही लिया आज सब कितने खुश थे ना।
सिमरन कहती है बस राज अब जल्दी से शादी कर लो , बहुत मुश्किल हो गया है तुम्हारे बिना एक-एक दिन निकालना। राज धीरे से उसके कानों में कहता है तो चलिए मैडम कल का पूरा दिन आपका बताइए कहां घूमने चलना है। सिमरन उसकी आंखों में देखती है और बोलती है नहीं मुझे तुम्हारा हर पल चाहिए राज मुस्कुराते हुए उसके हाथों को पकड़कर कहता है नहीं सिमरन यह जीवन तो मैंने देश को समर्पित कर दिया है।
समय बहुत तेजी से बीत रहा था।
सिमरन वैलेंटाइन डे को स्पेशल बनाना चाहती थी बहुत सारी प्लानिंग कर रही थी ।
सुधा जी कहती हैं कल सुबह 4:00 बजे तक सब लोग तैयार हो जाना हम लोगों को कुल देवी का दर्शन करने चलना है, तभी राज हड़बड़ाया हुआ सीढ़ियों से नीचे आता है, मां कहां हो मेरी छुट्टी कैंसिल हो गई है मुझे आज ही निकलना पड़ेगा कश्मीर में कुछ इमरजेंसी है।
सुधा जी उदास होकर कहती हैं इतना जल्दी अभी तो शादी की पूरी तैयारियां बाकी है । राज मां को पकड़ के सोफे पर बैठाता है आप घबराओ मत शादी का कार्ड दिखाते ही मुझे छुट्टी मिल जाएगी।
उधर सिमरन एयरपोर्ट पर भागते हुए आती है, दूर से ही राज को देख पाती हैं।
बटालियन में पहुंचते ही राज को उसके दोस्त छेड़ते हैं वह देखो दुल्हे राजा भी आ गए , राज सबको खुशी खुशी मिठाइयां खिलाता है।
तभी एनाउंसमेंट होता है "अटेंशन प्लीज" सभी सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाते हैं। बटालियन चीफ आते हैं और कहते हैं कश्मीर में इमरजेंसी है। हमें सुबह तड़के निकलना है। सभी जवान एक साथ बोलते हैं जय हिंद सर।
बस में बैठते ही राज सिमरन को फोन करता है कहता है दो-तीन दिन बात नहीं हो पाएगी तुम परेशान मत होना उधर सिमरन बस रोए जा रही थी
तुम मिलकर तो जाते आज वैलेंटाइन डे है मैंने कितनी सारी तैयारियां की थी तभी बहुत तेज धमाका होता है फोन कट जाता है, सिमरन बार-बार फोन लगाती है फोन स्विच ऑफ आ रहा था वह बहुत घबरा गई उसने तुरंत राज के पिता को फोन लगाया बोला पापा मेरी राज से बात हो रही थी
अचानक तेज धमाका हुआ और फोन भी स्विच ऑफ आ रहा है,
उन्होंने तुरंत टीवी खोला न्यूज़ में आ रहा था आर्मी बटालियन पर आतंकवादी हमला हुआ है जिसमें हमारे 40 जवान शहीद हो गए
बाकी जवान घायल हैं।
यह सब सुनकर सुधा जी का रो रो के बुरा हाल था अनहोनी का डर सता रहा था, शाम को करीब 4:00 बजे आर्मी ऑफिस से फोन आता है
की कैप्टन राजवीर सिंह शहीद हो गए हैं आप लोगों को कल आना पड़ेगा शिनाख्त करने के लिए।
आर्मी ऑफिसर ने राज के माता पिता को शहीद हुए जवानों के
अवशेषों और सामानों को दिखाते हुए कहा धमाका इतना तेज था कुछ भी नहीं बचा हम जो कुछ भी समेट पाए हैं वह आप लोगों के सामने है।
इसमें से देख लीजिए शायद राज की कोई निशानी आप पहचान पाए
वह दृश्य बहुत भयाव: था खून से सने हुए मांस के लोथड़े एक बॉक्स में पड़े हुए थे, अचानक राज के पिता चीख पड़े यह तो राज का हाथ है
सुधा देखो उसकी उंगलियों में वही सगाई की अंगूठी हैं उस हाथ को अपनी गोद में ले कर माता-पिता बिलखने लगे।
वहीं कोने में बुत बनी खड़ी सिमरन चुपचाप सब देख रही थी,
कांपते हाथों से उसने राज के हाथ को अपने हाथों में लिया बार-बार अपने हाथों की अंगूठी और राज के हाथ की अंगूठी मिला कर देखती राज के हाथ की अंगूठी निकालने की कोशिश करती जैसे उसे कुछ होश हवास
ही नहीं था।
जब होश में आती राज के हाथों को सीने से लगाकर दहाड़े मार कर रोने लगती, उसके कानों में राज कि कहीं वह बात बार-बार गूंज रही थी।
और किसी जन्म में दूंगा तुझे प्यार
यह जिंदगी तो वतन के नाम हो गई ।।
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित रचना
लेखिका संजिता पांडेय।।
14/8/2020/
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