सूझ बुझ जहां है वहां शांतता है
जिंदगी से जो संतुष्ट नही फिर भी
जो शांत है ओ अद्भुत है।
अंदर मचल रहा है खलबली फिर भी
जो शांत है ओ अद्भुत है।
शरीर पर दाग नहीं पर घाव से डूबा है फिर भी
जो शांत है ओ अद्भुत है।
उसके चारों ओर उजाला है जिसके
अंदर सिर्फ अंधेरा छाया है फिर भी
जो शांत है ओ अद्भुत है।
उसका सुननेवाला है पर समझनेवाला कोई नही
इसीलिए ओ शांत है।
ओ शांत है ओ अद्भुत है।
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