पिता पर्याय हैं कुछ शब्दों का ।
पिता यानि मजबूती..
जिसके बलबूते पर बचपन से ही ,
बजती सन्तान की तूती ।
पिता यानि चट्टान..
जिसका नाम जुड़ते ही बढ़ती आन,बान शान।
पिता यानि पहाड़..
कष्टों और सन्तान के मध्य,बन खड़ा है आड़।
पिता यानि झील..
अन्दर उथल-पुथल कितनी भी,बाहर से दिखता शील।
पिता यानि सागर..
जिसके सिर पर जिम्मेदारी की बहुत बड़ी सी गागर।
पिता यानि भोर..
चुपचाप झेले सभी मुसीबत, नहीं मचाता शोर।
पिता यानि पर्व..
बच्चे आगे बढ़ें तो करता खुद पर गर्व।
चिन्ता न कर मेरे बच्चे, मैं हूँ ना।
मुझे बता,मैं कर दूँगा,क्यूँ परेशाँ होता है।
बूढ़े हाथों की थपकी, बूढ़ी आँखों का संबल,
उनका इतना कहना ही, मुझको नवजीवन दे जाता है।
मेरी इच्छा की खातिर,अपनी इच्छा का रखा न ध्यान,
मुझको भगवन ऐसा वर दो, बढ़ा सकूँ मैं उनका मान।
...समिधा नवीन वर्मा
YouTube link :
https://youtu.be/JqmIHNgxpQk
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