जब ख़्याल उसका मुझे कुछ इस तरह से सताता है,देख लेता हूँ उसका चेहरा और मेरा दिन संवर जाता है,
बड़ा खुशनसीब हूँ मैं जो उसने मुझे अपना बनाया है,
फिर ख्याल-ऐ-इश्क़ से उसके मेरा घर रौशन हो जाता है,
रहता है मीलों दूर मुझसे, यही किस्मत का लिखा है,
वो बसता है मेरी रूह में और मुझे ख़ुशबू सा महकाता है,
बहुत देखें हैं मैंने चेहरे ऐसे जिनके अंदाज़ निराले हों,
पर सूरत में उसकी मुझे कोई माहताब नज़र आता है,
अंधेरों से भरी मेरी दुनिया की एक ऐसी किरण है वो,
जिसके नूर से मेरी रातों में आफ़ताब निकल आता है।
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