तुम ने करके इरादा रूठने का,
दिल को अपने बड़ा मनाया होगा
जब तन्हाइयों में, मेरी याद आई होगी
तुमन ने कभी तो मुझे बुलाया होगा।
तुम सुनती रहती थी बातें मेरी अक्सर,
मेरा बोलना ही शायद तुम्हें पसंद आया होगा। रात की वीरानियों में करके मुझे तन्हा,
मेरे ख़्याल में पासा तुमने भी फिराया होगा
फैसला कर के दूरियाँ बढ़ा तो ली तुमने,
दूर जा कर के बताओ तुमने क्या पाया होगा? रह गई होगी तन्हा तुम भी महफ़िल में,
मेरे जाने का वो क़िस्सा, जाने कितनों को सुनाया होगा।
नहीं छोड़ी कोई क़सर मैंने की प्यार पूरा हो, तुमने भी क्या साथ जीने का सपना सजाया होगा?
कैसे रहेंगें तन्हा हम एक दूसरे के बिना?
क्या ये सवाल कभी तुम्हारे मन में भी आया होगा?
मैंने काटी है रातें तन्हाई और ग़मों में ऐसे,
जैसे इसलिए ख़ुदा ने मुझे बनाया होगा।
मेरी आँखों से बहते हुए अश्क़ों को देख,
एक आँसू तो तुम्हारी आँखों में भी आया होगा।
तुमने हालातों में मुझे आज़माया हर दम,
क्या ऐसे ही हर किसी को आज़माया होगा अजीब सी उलझनों में मुझे डालकर,
रहम कभी तो तुम्हें मुझपर आया होगा.
मैं मर सकता हूँ तुम्हारी इस बेरुखी से,
बताओ क्या यही मेरा सरमाया होगा.
मानता हूँ हज़ारो में होंगे तुम्हें चाहने वाले,
पर लाखों में भी मेरे जैसा कोई नही बन पाया होगा।
Comments
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बहुत बहुत बढ़िया फ्रूटी भाई🙌🙌🙌💕💕💕💕💕💕💕💕
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