ग़ज़ल
तू ये न सोच तेरे पास आ रही हूं मैं
गले लगा के किसी को जला रही हूं मैं
तेरे ही नाम के आंसू हैं मेरी आंखों में
तेरे ही नाम का काजल लगा रही हूं मैं
मेरी हर एक सहेली चिढ़ा रही है मुझे
तुम्हारे नाम की मेंहदी लगा रही हूं मैं
तुम्हारी याद में खोई हूं किस कदर देखो
सफ़ेद रंग को नीला बता रही हूं मैं
किसी भी हाल में तुझको भुला न पाऊंगी
बस अपने आप को पागल बना रही हूं मैं
किसे ख़बर है के गम कितने साक्षी को हैं
ये हौसला है मेरा मुस्कुरा रही हूं मैं
Paperwiff
by saksheechauhan