अपने पसंद की ज़िंदगी

अपने पसंद की ज़िंदगी

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 02 Apr, 2021 | 1 min read
#my_pen_my_strength

जो जैसा कर्म करता है वैसा ही फल पाता है,

काँटे बोने वाला ख़ुद भी तो ज़ख्मी हो जाता है,


ज़िंदगी बदलती रहती है रंगमंच वक़्त वक़्त पर,

कोई बिखरता है तो कोई शान से सँभल जाता है,


ये तक़दीर किसी की जागीर नहीं जो पक्षपात करे,

जो आज आसमां में है, कल धूल में मिल जाता है,


कहानियाँ और क़िरदार हर रोज़ ही बदलते हैं यहाँ,

कोई आज ख़ास तो कल नज़रों से भी गिर जाता है,


खामख़ाँ ही एक दूसरे से यूँ जलते हैं लोग “साकेत”,

अपने पसंद की ज़िंदगी कहाँ कोई कभी जी पाता है।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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