न करो ऐसे

न करो ऐसे

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 17 Aug, 2021 | 1 min read

मेरे ख़्वाबों में यूँ बेवज़ह न आया जाया करो,

ख़्यालों में आकर बार-बार मुझे न सताया करो,


धड़कनें बेतहाशा बढ़ जाती हैं तुम्हें देखकर भी,

होश में रहने दो, नज़रें मिलाकर न झुकाया करो,


घायल करती है इस दिल को हरेक अदा तुम्हारी,

शर्माती निग़ाहों से देखके हमें यूँ न मुस्कुराया करो,


सब कुछ हारे बैठे हैं तुमपर पहली मुलाक़ात से ही,

लबों का ले सहारा हमें बातों में यूँ न उलझाया करो,


कब से खड़ा है “साकेत" इंतज़ार में, पलकें बिछाए,

अपने एक-एक दीदार के लिए यूँ तो न तरसाया करो।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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