नाउम्मीदीयाँ अच्छी हैं

नाउम्मीदीयाँ अच्छी हैं, कभी आज़मा कर तो देखो

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 17 Jul, 2020 | 1 min read
#my_pen_my_strength

नाउम्मीदीयाँ राह दिखाती हैं, मैंने आजमाकर देखा है,

बर्बादीयाँ भी हौसला बढ़ाती हैं, मैंने मात खाकर देखा है,

जीत जाना आदत बन जाए तो फिर मुश्किल होगी जीने में,

गलतफहमीयाँ भी कुछ सिखाती हैं, मैंने चोट खाकर देखा है,


हर एक मंजर अगर ख़ुशी का हो, फिर मजा ही क्या हो जीने में,

कुछ पाने की चाहत फिर क्या, जब तक आग ना लगी हो सीने में,

हालात बेकाबू ना हो कभी, फिर बिखर जाने की आरज़ू ना हो कभी,

मानो प्यास ही ना हो सिद्दत की, फिर स्वाद ही क्या मीठा जल पीने में,


ये पहेलियाँ भी कहानी नई सुनाती हैं, मैंने खुद को उलझा कर देखा है,

तन्हाइयाँ भी तो राह जगमगाती हैं, मैंने अंधेरे में खुद को पाकर देखा है।

By:—© Saket Ranjan Shukla

IG:—@my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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