लक्ष्मी पूजन एवं दीपों के पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

आशा करता हूँ कि लक्ष्मी पूजन एवं प्रभु श्रीराम के अयोध्या वापस लौटकर आने के हर्ष में मनाए जाने वाले इस दीपों के पर्व दीपावली पर मेरी यह काव्य पेशकश आपको पसंद आएगी।

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 31 Oct, 2024 | 1 min read
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लौटें हैं राम अयोध्या, दीपोत्सव सम्पूर्ण भारतवर्ष मनाएगा,

भू सजेगी रंगोलियों से, आकाशदीपों से गगन जगमगाएगा,

अग्निक्रीड़ा से कर निशा गुंजित, जग ये हर्ष में डूबा जाएगा,

बाँट सोहन पापड़ी व मिष्ठान, संसार हर बैर से मुक्ति पाएगा,


जागेगी रजनी भी, तम पर दीपकों की आभा विजय पाएगी,

नकारात्मक कोलाहल को अग्निक्रीड़ाओं की ध्वनि हराएगी,

धान के लावे और शक्कर के सांचे से कड़वाहट मिट जाएगी,

भर उन्हें घरौंदे में हर बहन, माँ लक्ष्मी को निमंत्रण भिजवाएगी,


सियाराम व लखन लौटे अवध एवं धरा पर माँ लक्ष्मी पधारी हैं,

समृद्धिदात्री, हरिवल्लभी, सिंधुसुता माँ पद्मालया अति न्यारी हैं,

जगपालक श्रीहरि के जग संचालन में माँ भार्गवी ही सहकारी हैं,

निर्धनों को समृद्धि व समृद्धों को संतुष्टि देती माँ सर्वहितकारी हैं,


तो आओ दीपों के इस पर्व दीपावली को कुछ इस तरह मनाते हैं,

कर प्रज्ज्वलित दीपक घर-आँगन में, अंतर्मन के तम को डराते हैं,

करके पूजा-अर्चना माँ रमा, धनेश और विनायक की पूर्णश्रद्धा से,

और लगाकर जयकारा श्री राम का दुःख और दारिद्र्य दूर भगाते हैं।

BY :— © Saket Ranjan Shukla

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Saket Ranjan Shukla

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