अच्छा लगा

अच्छा लगा

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 21 Oct, 2024 | 1 min read
#काव्यSaga #बोलतीकविताओंकासंग्रह

मुझे अरसों बाद मुझसे जुड़ा हर धागा कच्चा लगा,

दिल मेरा लगा नासमझ मुझे, बिल्कुल बच्चा लगा,


मेरी सुनता ही नहीं है ये, करता है मनमानी हरदम,

ठीक ही तो हुआ, जो इसे दिली खेल में गच्चा लगा,


ज़्यादा ज़िंदादिली सही नहीं, समझाया था मैंने इसे,

सब जानते-बूझते ही इसे ठेस लगी ये, ये धक्का लगा,


मेरी छोड़, सबकी बातों में आने की लत लगी थी इसे,

अब मिलने लगे हैं धोखे, तो मैं हमदर्द इसे सच्चा लगा,


खैर अब सँभाल लेगा “साकेत“, जो भी होगा आगे से,

जो ज़ख्म दे गए थे अब हाल लेने आए हैं, अच्छा लगा।


BY :— © Saket Ranjan Shukla

IG :— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

saketranjanshukla

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