कच्चे धागों की राखी बाँधकर हर कदम मेरा साथ चाहती हैं,
वादा रक्षा का मुझसे माँगकर फिर मुझे रक्षासूत भी बाँधती हैं,
बहनें मेरी, कूटस्वार्थ दिखाकर नेग के लिए झगड़ें भले मुझसे,
मगर वो राखी बाँधते हुए, ईश्वर से मेरी सकुशलता ही माँगती हैं,
स्नेह से बाँधी हुई वो राखी मेरे कलाइयों को बड़ा प्रबल बनाती है,
बहनों के सपनों और उनकी आकांक्षाओं की कद्र करना सिखाती है,
रक्षा कवच बन जाती है मेरा, वो दो सूत की राखी मुश्किल समयों में,
कच्चे धागों से ही अटूट रिश्तों को जोड़े रखकर अपना महत्त्व दर्शाती है,
बहनों का निश्छल प्रेम इन राखियों में कुछ इस तरह से झलक जाता है,
कि हम भाईयों का ह्रदय भावनाओं में बह मोम की भांति पिघल जाता है,
बहनें माँगती हैं सकुशलता भाई की, भाई वादा आमरण रक्षा का करता है,
हर वर्ष रक्षाबंधन के त्योहार पर ये भाई बहन का रिश्ता और निखर जाता है।
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